:-अभिजीत राजेंद्र साबळे (पाटील)
जयललिता जयराम (जन्म -
२४ फ़रवरी १९४८) ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना
द्रमुक) की की वर्तमान महासचिव तथा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री हैं। उन्हें राज्य की दूसरी महिला मुख्यमंत्री
बनने का सौभाग्य प्राप्त हैं। पूर्व के दिनों में वे मुख्य रूप से तमिल फिल्मों की
अभिनेत्री थीं, किन्तु उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड और एक हिंदी तथा एक अँग्रेजी फिल्म में भी काम किया है। जब वे
स्कूल में पढ़ रही थीं तभी उन्होंने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। वे 15 वर्ष की आयु में कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की
भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम करने लगीं। वे दक्षिण
भारत की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर फिल्मों में भूमिका निभाई
थी। 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की।फिल्मी करियर के बाद उन्होने एम॰जी॰ रामचंद्रन
के साथ 1982 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1984 से 1989 के दौरान
तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया। वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद उन्होने खुद को रामचंद्रन की
विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वे 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की
पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं।
अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन ने 14वीं
राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को मुख्यमंत्री
पद की शपथ लीं और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री हैं। राजनीति में उनके समर्थक
उन्हें अम्मा (मां) और कभी कभी पुरातची तलाईवी ('क्रांतिकारी नेता') कहकर बुलाते
हैं।
प्रारंभिक जीवन
जयललिता का जन्म 24 फ़रवरी 1948 को एक 'अय्यर' परिवार में,
मैसूर राज्य (जो कि अब कर्नाटक का हिस्सा है) के मांडया
जिले के पांडवपुरा तालुक के मेलुरकोट गांव में हुआ था। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे। महज 2
साल की उम्र में ही उनके पिता जयराम, उन्हें
माँ संध्या के साथ अकेला छोड़ कर चल बसे थे। पिता की मृत्यु के पश्चात उनकी मां
उन्हें लेकर बंगलौरचली आयीं, जहां उनके माता-पिता रहते थे। बाद में
उनकी मां ने तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया और अपना फिल्मी नाम 'संध्या' रख लिया।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहले बंगलौर और बाद में चेन्नई में हुई। चेन्नई के
स्टेला मारिस कॉलेज में पढ़ने की बजाय उन्होंने सरकारी वजीफे से आगे पढ़ाई की
फिल्मी जीवन
जब वे स्कूल में ही पढ़ रही थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया। विद्यालई शिक्षा के दौरान ही उन्होंने 1961 में 'एपिसल' नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया। मात्र 15 वर्ष की आयु में वे कन्नड फिल्मों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी। कन्नड भाषा में उनकी पहली फिल्म 'चिन्नाडा गोम्बे' है जो 1964 में प्रदर्शित हुई।उसके बाद उन्होने तमिल फिल्मों की ओर रुख किया। वे पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने स्कर्ट पहनकर भूमिका निभाई थी।
तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म 'वेन्नीरादई' से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300
फिल्मों में काम किया। उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगु, कन्नड़, अँग्रेजी और हिन्दी फिल्मों में भी काम किया
है। उन्होंने धर्मेंद्र सहित कई अभिनेताओं के साथ काम किया, किन्तु
उनकी ज्यादातर फिल्में शिवाजी गणेशन और एमजी रामचंद्रन के साथ
ही आईं।
राजनीतिक जीवन
अम्मा ने 1982 में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की सदस्यता ग्रहण करते हुए एम॰जी॰ रामचंद्रन के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1983 में उन्हें पार्टी का प्रोपेगेंडा सचिव नियुक्त किया गया। बाद में अंग्रेजी में उनकी वाक क्षमता को देखते हुए पार्टी प्रमुख रामचंद्रन ने उन्हें राज्यसभा में भिजवाया और राज्य विधानसभा के उपचुनाव में जितवाकर उन्हें विधानसभा सदस्य बनवाया। 1984 से 1989 तक वे तमिलनाडु से राज्यसभा की सदस्य रहीं। बाद में, पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके और रामचंद्रन के बीच दरार पैदा कर दी। उस समय वे एक तमिल पत्रिका में अपने निजी जीवन के बारे में कॉलम लिखती थीं पर रामचंद्रन ने दूसरे नेताओं के कहने पर उन्हें ऐसा करने से रोका। 1984 में जब मस्तिष्क के स्ट्रोक के चलते रामचंद्रन अक्षम हो गए तब जया ने मुख्यमंत्री की गद्दी संभालनी चाही, लेकिन तब रामचंद्रन ने उन्हें पार्टी के उप नेता पद से भी हटा दिया।
वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन हो गया और इसके बाद
अन्ना द्रमुक दो धड़ों में बंट गई। एक धड़े की नेता एमजीआर की विधवा जानकी रामचंद्रन थीं और दूसरे की जयललिता,
लेकिन जयललिता ने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित
कर दिया।
वर्ष 1989 में उनकी पार्टी ने राज्य विधानसभा में 27
सीटें जीतीं और वे तामिलनाडु की पहली निर्वाचित नेता प्रतिपक्ष बनीं।
वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राज्य में हुए
चुनावों में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। वे 24 जून 1991 से 12 मई तक राज्य
की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं।
वर्ष 1992 में उनकी सरकार ने बालिकाओं की रक्षा के लिए 'क्रैडल बेबी स्कीम' शुरू की ताकि अनाथ और बेसहारा
बच्चियों को खुशहाल जीवन मिल सके। इसी वर्ष राज्य में ऐसे पुलिस थाने खोले गए जहां
केवल महिलाएं ही तैनात होती थीं।
1996 में उनकी पार्टी चुनावों में हार गई और वे खुद
भी चुनाव हार गईं। इस हार के बाद सरकार विरोधी जनभावना और उनके मंत्रियों के खिलाफ
भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुये। पहली बार मुख्यमंत्री रहते हुए उनपर कई गंभीर
आरोप लगे। उन्होंने कभी शादी नहीं की लेकिन अपने दत्तक पुत्र 'वीएन सुधाकरण' की शादी पर पानी की तरह पैसे बहाए। यह
विषय भी इन मामलों का एक हिस्सा रहा।
भ्रष्टाचार के मामलों और कोर्ट से सजा होने के बावजूद वे अपनी
पार्टी को चुनावों में जिताने में सफल रहीं। हालांकि गंभीर आरोपों के कारण उन्हें
इस दौरान काफी कठिन दौर से गुजरना पड़ा, पर 2001
में वे फिर एक बार तमिलनडू की मुख्यमंत्री बनने में सफल हुईं।
उन्होंने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभाल ली। दोबारा सत्ता में
आने के बाद उन्होंने लॉटरी टिकट पर पाबंदी लगा दी। हड़ताल पर जाने की वजह से दो
लाख कर्मचारियों को एक साथ नौकरी से निकाल दिया, किसानों की
मुफ्त बिजली पर रोक लगा दी, राशन की दुकानों में चावल की
कीमत बढ़ा दी, 5000 रुपये से ज्यादा कमाने वालों के राशन
कार्ड खारिज कर दिए, बस किराया बढ़ा दिया और मंदिरों में
जानवरों की बलि पर रोक लगा दी। इसी बीच भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने
उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया और उन्हें अपनी कुर्सी अपने विश्वस्त मंत्री ओ॰ पन्नीरसेल्वम को सौंपनी पड़ी। जब
उन्हें मद्रास हाईकोर्ट से कुछ आरोपों से राहत मिल गई तो वे मार्च 2002 में फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी सँभाल ली। हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पशुबलि की अनुमति दे
दी और किसानों की मुफ्त बिजली भी बहाल हो गई।
अप्रैल 2011 में जब 11 दलों के गठबंधन
ने 14वीं राज्य विधानसभा में बहुमत हासिल किया तो वे तीसरी
बार मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने 16 मई 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लीं और तब से वे राज्य की मुख्यमंत्री हैं।
माहिती संकलन- विकिपीडिया
:-अभिजीत राजेंद्र साबळे (पाटील)
मु.पो.खेडलेझुंगे ता.निफाड जि.नाशिक ४२२३०५
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